शीघ्रपतन वीर्य स्खलन का कारण उपचार एवं रोकथाम Ejaculation Problems Solutions

0

शीघ्रपतन का इलाज, शीघ्र स्खलन का रामबाण इलाज, शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज, Ejaculation Problems Solutions 

Best Sexologist Dr. Mishra 


संभोग करते समय कम समय में वीर्य स्खलन हो जाना, मन में बुरी भावनाएँ उत्पन्न होने से शुक्र-वीर्य स्खलन होना मतलब शीघ्रपतन इन दिनों यह बीमारी बहुत ज्यादा प्रभाव दिखाने लगी है।

कारण:

अत्यधिक स्त्री संभोग, कम उम्र में संभोग, हस्तमैथुन की आदत, स्ट्रैस, ब्रह्यचर्य का पालन न करना, अत्यधिक मैथुनेच्छा, काफी गरम स्वभाव वाले भोजन का सेवन, मद्यपान-धूम्रपान, तम्बाकू आदि का सेवन शीघ्रपतन की समस्या उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। शरीर में किसी भी कारण से गरमी बढ़ना भी शीघ्रपतन को बढ़ा सकता है।

उपरोक्त वजह से लिंग की मांसपेशियों व नाड़ियों में कमज़ोरी आ जाती है। वीर्य को रोकने की क्षमता कम हो जाती है और वीर्य पतला बनने से वीर्य स्खलन बहुत जल्दी हो जाता है।

आज के जमाने में बढ़ा हुआ स्ट्रैस या अन्य कोई मानसिक कमज़ोरी भी शीघ्रपतन की समस्या का निर्माण कर सकती डायबिटीज की बीमारी में भी शीघ्रपतन की समस्या दिखाई देती है।

शीघ्रपतन के रोकथाम में ध्यान रखने योग्य बातें:

  • ब्रह्यचर्य पालन
  • मसालेदार पदार्थों का परहेज
  • स्ट्रैस मैनेजमेंट
  • नशीले पदार्थों का सेवन बन्द करना
  • चाय-कॉफी का सेवन कम करना
  • डॉक्टर से तुंरत चिकित्सा संबधी परामर्श करना

घरेलू उपचार:

  • दूध के साथ जायफल के सेवन से शीघ्रपतन को रोका जा सकता है।
  • शतावर का दूध के साथ सेवन करना शीघ्रपतन में लाभप्रद माना जाता है।
  • रात के समय 4-5 बादाम पानी में भिगोकर रखें, दूसरे दिन सुबह ऊपरी छिलका निकालकर दूध में पीसकर उस दूध का सेवन करना चाहिए।
  • मक्खन और मिश्री का नित्य सेवन शीघ्रपतन में लाभप्रद है।
  • अधिक प्याज का सेवन शीघ्रपतन को बढ़ाता है इसलिए कच्चे प्याज का सेवन बंद करें।
  • अदरक से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है। अदरक के सेवन से लिंग को रक्त संचार ज्यादा होने से लिंग की ताकत बढती है और शीघ्रपतन की समस्या कम होती है।
  • छुआरे का घी के साथ सेवन शीघ्रपतन में लाभप्रद है।
  • हरे ताज़ा आंवलों के 10 ग्राम रस में मधु 50 ग्राम मिलाकर चाट लें। इस प्रयोग से वीर्य का पतलापन दूर हो जायेगा

क्या ना करें:

  • सुबह देर तक सोना व रात में देर तक जागना।
  • बहुत ज्यादा स्त्री चिंतन से बचें।
  • योगासन व प्राणायाम का नियमित अभ्यास करें।

नोटः

ऊपर बताए गए उपायों को प्रयोग करने के साथ-साथ रोग की गंभीरता के अनुरूप डॉक्टर की सलाह लेनी भी आवश्यक है

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)