वजाइनल , पेनिस फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट इन हिंदी ? एक्सपर्ट से जानें इसके लक्षण, उपचार एवं बचाव

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वजाइनल , पेनिस फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट इन हिंदी ? एक्सपर्ट से जानें इसके लक्षण, उपचार एवं बचावआज इस लेख के माद्यम से हम पाठको से सीधा - वजाइना एवं पेनिस यीस्ट इन्फेक्शन, पेनिस फंगल इन्फेक्शन, पेनिस फंगल इन्फेक्शन टेबलेट, वजाइना एवं पेनिस यीस्ट इन्फेक्शन cream, पेनिस फंगल इन्फेक्शन आयुर्वेदिक दवा, पेनिस फंगल इन्फेक्शन अंग्रेजी दवा, पेनिस इन्फेक्शन के कारण, पेनिस पर दाने का इलाज बताने जा रहे है तो लेख के अंत तक बने रहे |


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वजाइनल, पेनिस फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट : फंगल इन्फेक्शन स्त्री और पुरुष दोनों में कॉमन है | यह स्त्रीओ के वजाइना एवं पुरुषो के पेनिस पार्ट में लाल चकता, जलन चुभन के साथ देखा जाता हैं, पुरुषों में यह समस्या खासकर, गर्मियों के मौसम में ज्यादा होती है, फंगल इंफेक्शन (Fungal infection) इचिंग, जलन या अन्य कई समस्या के साथ आती है , तो इसे नजरअंदाज घातक हो सकता हैं . डॉक्टर से परामर्श ले और उपचार करवाए – डॉ मिश्र – सेक्सोलोजिस्ट रिटायर्ड मेडिकल ऑफिसर उ०प्र० सरकार ने बताया प्राइवेट पार्ट्स (पेनिस या वजाइना) में सबसे कॉमन फंगल इंफेक्शन है कैंडिडा (Candida). यह फंगल इंफेक्शन पुरुषो की अपेक्षा महिलाओं में सबसे अधिक कॉमन है. इसे वल्वो वेजाइनल कैडियाइसिस (vulvo vaginal candidiasis) कहते हैं. फीमेल में आम है, लेकिन पुरुषों में भी कम नही होता. महिलाओं में इसके लक्षण जो नजर आते हैं, वे हैं कर्डी जिस्चार्ज, खुजली, वेजाइना के लिप्स में रेडनेस, इर्रिटेशन आदि. पुरुषों में कैंडिडा उनमें अधिक होता है, जो प्री-डायबिटिक या डायबिटीक होते हैं. इसमें पेनिस की फोरस्किन पर कर्डी डिपॉजिट्स और रेडनेस हो जाती है.



कैंडिडा इंफेक्शन क्यों होता है ?

डॉ. मिश्र के अनुसार, कैंडिडा हमारे शरीर में नॉर्मली रहता है और जब भी प्राइवेट पार्ट्स के भाग के पीएच वैल्यू में बदलाव होता है या फिर प्राइवेट पार्ट्स की साफ-सफाई नहीं करते हैं, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, डायबिटीज या एचआईवी की समस्या है, ऐसे मरीजों में कैंडिडा इंफेक्शन बहुत अधिक देखने को मिलता है. यह सबसे कॉमन फंगल इंफेक्शन है.

टीनिया क्रूरिस को न करें नजरअंदाज

वजाइनल, पेनिस में होने वाला दूसरा सबसे कॉमन फंगल इंफेक्शन है टीनिया क्रूरिस (tinea cruris). यह एक फंगल इंफेक्शन है, जिसे आमतौर पर दाद या रिंग वॉर्म भी कहते हैं. इसमें थाई वाले भाग (groin area) में रिंग शेप में लाल रंग के चकत्ते हो जाते हैं. पिछले पांच वर्षों में इसके मामले काफी बढ़े हैं और इसका कारण है एंटी फंगल रेजिस्टेंस. आज से दस वर्ष पहले जो दवाइयां इस पर काम कर जाती थीं, आज वे दवाइयां उतनी ज्यादा असरदार नहीं हैं. भारत में इस समस्या के बढ़ने के कारणों से संबंधित कई स्टडीज भी की गई हैं. इसके बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण है, मरीजों द्वारा खुद से टीनिया क्रूरिस का इलाज करना. किसी भी मेडिकल स्टोर से खुद से दवाएं, क्रीम लेकर यूज करना. ऐसी स्थिति में कई केसेज में ये इतने बढ़ जाते हैं कि स्ट्रॉन्ग दवाएं देने पर ये कम तो हो जाते हैं, लेकिन जड़ से खत्म नहीं होते हैं.

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वजाइनल, पेनिस में फंगल इंफेक्शन का इलाज

किसी क्वालिफाइड डॉक्टर से इसे दिखाना चाहिए. प्रॉपर डायग्नोसिस करके ही इसे जड़ से खत्म कर सकते हैं. सही निदान होगा तो ही प्रॉपर इलाज चलेगा. क्रीम, ओरल मेडिकेशन के जरिए इसका इलाज चलता है. दवाओं का प्रॉपर कोर्स पूरा करना बहुत जरूरी है. किसी भी कोर्स को बीच में न छोड़ें. बार-बार फंगल इंफेक्शन होने पर डॉक्टर उन कारणों की भी जांच करते हैं, जिससे शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है जैसे डायबिटीज, एचआईवी इंफेक्शन, शरीर में जिंक की कमी आदि. यदि आपको डायबिटीज है और बार-बार सिर्फ फंगल इंफेक्शन, कैंडिडा का इलाज किया जा रहा है, तो इससे असर नहीं होगा. इसके लिए जरूरी है कि डायबिटीज का भी ट्रीटमेंट हो वरना फंगल इंफेक्शन का हर इलाज फेल हो जाएगा. प्रॉपर इलाज लें तो कैंडिडा की समस्या दूर हो सकती है.

इन बातों का रखें ध्यान

  •     बार-बार खुजली न करें वरना प्राइवेट पार्ट की स्किन में एग्जीमा, लाल चकत्ते हो सकते हैं.
  •     वेजाइनल पार्ट की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें.
  •     जितना हो सके इस भाग को ड्राई रखें.


वजाइनल, पेनिस फंगल इन्फेक्शन की आयुर्वेदिक दवा

बेकिंग सोडा डालकर नहाने से यीस्ट इन्फेक्शन का इलाज और खुजली को कम किया जा सकता है. दरअसल, बेकिंग सोडा में एंटीफंगल गुण भी होते हैं, जो जलन पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर सकते हैं. आप एक बाल्टी पानी में 1/4 कप बेकिंग सोडा मिला लें और इससे नहाएं. प्राइवेट पार्ट को भी इससे साफ करें

वजाइनल, पेनिस फंगल इन्फेक्शन की अंग्रेजी दवा

वजाइनल, पेनिस फंगल इंफेक्शन के इलाज के लिए फ्लूकोनाजोल और ग्राइसोफ्लोवीन की टेबलेट सबसे अच्छी होती है, लेकिन अब यह असर नहीं कर रही हैं। विकल्प के रूप में टरबिनाफाइन और इट्राकोनाजोल का इस्तेमाल किया जा रहा है। टरबिनाफाइन भी बहुत असरदार नहीं है। इट्राकोनाजोल का असर होता है, लेकिन ये दवाएं महंगी हैं | दवाए चिकित्सक के परामर्श के बिना ना ले |

वजाइनल, पेनिस फंगल इंफेक्शन कितने दिन में ठीक होता है?

दवाओं से ये चंद दिनों या हफ्तों में ठीक हो जाती हैं। लेकिन लापरवाही बरतने पर यह दुबारा हो जाता है, तो फंगल बीमारी कई बार वापस भी आ जाती हैं।

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